The Definitive Guide to lyrics shiv chalisa

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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज

अर्थ- पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है।

अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।

बुरी आदतें बाद मे और बड़ी हो जाती हैं - प्रेरक कहानी

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

अर्थ- आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई check here देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

धन निर्धन को देत सदा हीं। जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

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